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Baje Bhagat (16 July 1898 – 26 February 1939) was an Indian
litterateur An intellectual is a person who engages in critical thinking, research, and reflection about the reality of society, and who proposes solutions for the normative problems of society. Coming from the world of culture, either as a creator or as ...
,
poet A poet is a person who studies and creates poetry. Poets may describe themselves as such or be described as such by others. A poet may simply be the creator ( thinker, songwriter, writer, or author) who creates (composes) poems (oral or writte ...
, ragni writer,
saang Saang ( hi, सांग), also known as Swang (meaning "initiation") or Svang (), is a popular folk dance–theatre form in Rajasthan, Haryana, Uttar Pradesh and Malwa region of Madhya Pradesh. Swang incorporates suitable theatrics and mimicry ...
artist and Haryanvi cultural show artist.


Biography

Bhagat was born on 16 July 1898 in Sisana Village of
Sonipat District Sonipat district is one of the 22 districts of Haryana state in North India. Sonipat town is the district headquarters. It is a part of National Capital Region. It is bordered by Delhi, Panipat, Rohtak, Jind, Jhajjar and Baghpat (Uttar Pradesh) ...
of the erstwhile Punjab Province (Now in
Haryana Haryana (; ) is an Indian state located in the northern part of the country. It was carved out of the former state of East Punjab on 1 Nov 1966 on a linguistic basis. It is ranked 21st in terms of area, with less than 1.4% () of India's land ar ...
). He wrote almost 15 to 20 works that gave him unusual recognition in
Haryana Haryana (; ) is an Indian state located in the northern part of the country. It was carved out of the former state of East Punjab on 1 Nov 1966 on a linguistic basis. It is ranked 21st in terms of area, with less than 1.4% () of India's land ar ...
in the early 1920s. He was stabbed to death while sleeping outdoors


Writings

Bhagat's writings include:- *Yaa Lage Bhaanji teri (या लगै भाणजी तेरी / बाजे भगत) *Laad karan lagi maat (लाड करण लगी मात, पूत की कौळी भरकै / बाजे भगत) *saachi baat kahan menh (साची बात कहण म्हं सखी होया करै तकरार / बाजे भगत) *Dhan maya ke baare menh (धन माया के बारे म्हं किसे बिरले तै दिल डाट्या जा सै / बाजे भगत) *Bipta ke menh firun jhaadti (बिपता के म्हं फिरूं झाड़ती घर-घर के जाळे / बाजे भगत) *Main nirdhan kangaal aadmi (मैं निर्धन कंगाल आदमी तूं राजा की जाइ / बाजे भगत) *Bera na kad darshan honge (बेरा ना कद दर्शन होंगे पिया मिलन की लागरही आस / बाजे भगत) बाजे राम का राजबाला अजीत सिंह करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ – टेक साथ मेरी धींगताणा बण रहया सै इसा के तू महाराणा बण रहया सै न्यू बोल्या घणा के स्याणा बण रहया सै न्यू तै बीगड़ ज्यागी बात राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ करी बाप मेरे नै बेईमानी हो अपनी खो बैठा ज़िंदगानी न्यू बोल्या समय होया करे आणी जाणी या माणस के ना हाथ राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ भगत बाजे के लगी कटारी न्यू बोल्या मात छूटगी म्हारी न्यू बोल्या एक लालाजी ने बोली मारी जला पड़ा सै गात राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ बाजे राम का नवरतन रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई – टेक जेठ लगूँ और बड्डा कायदा न हक ठट्ठे हाँसी का इसी इसी मन में आवे करूँ दरसन सोला रासी का या परद्याँ में रहणे आली इका बाणा जणू हो दासी का इसी परी ने देख देख मन डोले संत सन्यासी का चाँद खिल्या पूरणमासी का इसी सुरत निमाणी दीख गई रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई मैं न्यूं बूझूंगा सेठाणी के फायदा विपदा ओटे में मेरे चाल के मौज करे न पर्दे जाली कोठे में सोने के जेवर घडवा द्यून तीअल चिपा ले गोटे में जीब सिंगर के चलेगी हो तकरार बड़े छोटे में नंदस्वरूपक्यान की बहू टोटे में अपनी हाणी दीख गई रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई लैला ऊपर मजनूँ ने लई डाभ जमा तन सारे में शीरीन कारण फरहाद ने अपनी जान फंसा ली धारे में हीर के कारण राँझे की भी बजी बंसरी ढ़ारे में चंदरकिरण पे मदनसेन के बेड़ी घली चौबारे में मन्ने भी इके बारे में तकलीफ उठाणी दीख गई रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई हरदेवा सतगुरु की थी बाणी बड़ी सगत की उनकी सेवा करके मने पदवी मिली भगत की बाजे भगत सेठाणी गेलयां करनी कार खगत की ऊपर कमरे में चढ़ग्या ना सोधी करी अगत की अपना मरण जगत की हाँसी वही कहाणी दीख गई रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई बाजे भगत का एक भजन शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी सत्यकाम विष्णुजी ने ब्राह्मण बण के गोद लिया हरी ने अपना भगत पिछाण के कर्या आण मोक्ष बेदागी हिरणाकुश के बेटा हुया जिसका नाम प्रह्लाद झूठा तो प्रपंच त्याग्या ॐ नाम कर लिया याद अहंकारी था वो राजा जिने बेटे ते किया विवाद गिरवर से गिराय दिया अति दुख दिया भारी खम्ब सेती बँधवा के ने सिर काटण की कर दी तयारी अगनी में ना आंच लागि जल के मरगी हत्यारी हो घमंड घणा था अज्ञान के दिया मार देर ना लागी शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी उस हरिचन्द ने काया देदी राजपाट सारा तज के बेटे के सिर आरा धर दिया ज्ञान हुआ जब मोरध्वज के जल में डूबते हरि ने बचाए पास पहोञ्चगे थे वे गज के दधीचि ऋषि हुए आवागमन मेट गए भील्ल्णी के बेर खाये वन में जाके भेंट गए नरसी जी की लाज राखी आप बण के सेठ गए हरि ने दर्शन दे दिये आण के घड़ी भात भरण की आगी शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी नामदेव पीपा ध्यानु कबीरा की राखी जग्ग जनकपुरी में धनुष तोड्या इंदर की मिटाई भग्ग वेदों के माँ गाया गया नाम तेरा सर्वग्ज्ञ संत छाजुलाल दादा दीपचन्द कह ग्या मेरा हरदेवा पे कृपा कर दी जो था स्वामी दास तेरा बजे भगत भी डर के रहे जंगल बीच होगा डेरा देंगे बीच फूँक शमशान के उड़ धूल पवन मिल ज्यागी शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी


See also

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Dayachand Mayna Dayachand Mayna was a poet of Haryanvi language. He is one of the important poets and folklore artists Haryana had ever produced. He was born on 10 March 1915, in a Valmiki caste family in Mayna village of Rohtak district of Haryana (erstwhile P ...
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Lakhmi Chand Dada Lakhmi Chand, also known as Pandit Lakhmi Chand, was an Indian poet of Haryanvi language. He was given the title of 'Pandit'. He was also known as the Kalidas of Haryana. He has been accorded the honor of the 'Surya Har' of Music of Harya ...
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Music of Haryana Folk music of Haryana has two main forms: classical folk music of Haryana and desi folk music of Haryana (country music of Haryana). They take the form of ballads and pangs of parting of lovers, valor and bravery, harvest and happiness. Histo ...
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Haryanvi cinema Haryanvi cinema, is the Haryanvi language film industry in the state of Haryana in India. History ''Chandrawal'', released in 1984 was the first financially successful Haryanvi film. ''Laado'', released in 2000, another successful film star ...
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List of Haryanvi-language films Haryanvi films are films in the Haryanvi dialect of Hindi. Due to the dominance of the Mumbai-based Hindi film industry, films in Haryanvi were not extensively produced until the 1980s. The First movie of Haryanvi cinema is ''Dharti'', release ...


References

http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%87_%E0%A4%AD%E0%A4%97%E0%A4%A4 {{DEFAULTSORT:Bhagat, Baje Poets from Punjab, India People from Sonipat district 1898 births 1939 deaths Folk artists from Haryana Poets from Haryana